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भीड़ से बाहर निकल कर आइए / डी. एम. मिश्र

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भीड़ से बाहर निकल कर आइए
इस समंदर में न ग़ुम हो जाइए

फ़ायदा इकला ही चलने में मिले
मेले में आये तो धक्के खाइए

आप अपनी बात पर क़ायम रहें
आप अपने ही सुरों में गाइए

जिसको जो कहना है वो कहता रहे
आप बिल्कुल भी नहीं घबराइए

क्या पुरानी लीक पर चलते रहें
रास्ता कोई नया दिखलाइए

झुंड में भेडे़ं हैं मरती दोस्तो
इससे अच्छा है कि मगहर जाइए

जो रचें, जैसा रचें, मौलिक रचें
दूसरों को भी यही बतलाइए