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भूलकर भी न सितमगर को सितमगर लिखना / मेहर गेरा
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भूलकर भी न सितमगर को सितमगर लिखना
अब तो सहरा को भी बेहतर है समंदर लिखना
ज़र्द पत्ते मैं तुझे भेज रहा हूँ ख़त में
तू भी अहसास की रुत का कोई मंज़र लिखना
उसका अहसास तो है फूल से बढ़कर नाज़ुक
उसको हर बात बहुत सोच समझकर लिखना
जब तेरे दिल में नई सुब्ह नया सूरज है
मेहर तारीकिए-शब को न मुक़द्दर लिखना।