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भैया! मुझको भी, लिखना-पढ़ना, सिखला दो! / रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’

भैया! मुझको भी,
लिखना-पढ़ना, सिखला दो।
क ख ग घ, ए बी सी डी,
गिनती भी बतला दो।।

पढ़ लिख कर मैं,
मम्मी-पापा जैसे काम करूँगी।
दुनिया भर में,
बापू जैसा अपना नाम करूँगी।।

रोज़-सवेरे, साथ-तुम्हारे,
मैं भी उठा करूँगी।
पुस्तक लेकर पढ़ने में,
मैं संग में जुटा करूँगी।।

बस्ता लेकर विद्यालय में,
मुझको भी जाना है।
इण्टरवल में टिफन खोल कर,
खाना भी खाना है।।

छुट्टी में गुड़िया को,
ए बी सी डी, सिखलाऊँगी।
उसके लिए पेंसिल और,
इक कापी भी लाऊँगी।।