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भोर हैतै कहिया / रामदेव भावुक

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राति कार आपन ई गोर हैतै कहिया
गायब हम पराती कि भोर हैतै कहिया

जागल छौ तै से की, राति तऽ अन्हारे छै
सपना सपनेलौं जे अब तक कुमारे छै
मनमा के कोइलिया कुहकै छै कुहू-कुहू
बोली छै मीठ मगर कोइली तऽ कारे छै

चह-चह चिड़ैया के शोर हैतै कहिया

बौलै छै मुर्गा नै, मुँह मे कि पान छै
डोलै छै पुरबा नै, खोंइछा मे कि धान छै
तारा नुकाएल किए, चान कुम्हलाएल छै
लाल असमान कहाँ, ललकी बिहान छै

लाल हमर सुरजा के ठोर हैतै कहिया

भुख्खल चिहुँकि उठल सूतल गोरैया
अँखिया के काँट हमर टूटल मरैया
खोंता मे तोता सें पूछै छै मैना
लागल कुहेस किए रूसल पुरबैया

गुदरी भेल मनुआँ पटोर हैतै कहिया