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मत हो सखी उदास, बुरे दिन जाएँगे / फूलचन्द गुप्ता
Kavita Kosh से
मत हो सखी उदास , बुरे दिन जाएँगे
चल हंस तू , शाबास ! बुरे दिन जाएँगे
आएँगे फिर बौर आम की बगिया में
लौटेगा मधुमास , बुरे दिन जाएँगे
वो कहते हैं , इक दूजे से दूर रहो
दिल से रहना पास, बुरे दिन जाएँगे
यह धरती थोड़ी-सी ऊपर उठ जाए
झुक जाए आकाश, बुरे दिन जाएँगे
कुछ कारण है, आज हवा में दहशत है
कुछ सच, कुछ आभास, बुरे दिन जाएँगे
यह संकट, हर संकट जैसे कुछ दिन में
हो जाए इतिहास , बुरे दिन जाएँगे