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मदद / निकानोर पार्रा / अशोक पांडे
Kavita Kosh से
मुझे नहीं मालूम
मैं यहाँ कैसे पहुँचा
मैं तो मज़े-मज़े में जा रहा था, यारो !
मेरे दाहिने हाथ में था मेरा हैट
एक चमकदार तितली का
पीछा करता हुआ
जिसने मुझे
ख़ुशी से
पागल बना रखा था
और अचानक !
मैं ठोकर खाकर गिरा
मुझे नहीं पता फिर बगीचे का क्या हुआ
हरेक चीज़ टुकड़े-टुकड़े हो गई
मेरी नाक और मुँह से ख़ून निकल रहा है।
सच बताऊँ,
मुझे नहीं मालूम कि हो क्या रहा है
या तो मेरी कुछ मदद करो
या मेरे सिर में गोली मार दो ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : अशोक पांडे