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मधुर है भूलने का स्वाद / मुइसेर येनिया
Kavita Kosh से
औरों की तरह तुम भी भूल जाओगे
और अपने प्रिय का चेहरा वापिस रख आओगे
जहाँ से मिला था तुम्हे
शायद किसी मस्जिद के सहन में
उस नरसंहार में जिसे भूलना कहते हैं
छाती सूखती है, त्वचा सिकुड़ जाती है
औरों की तरह तुम भी भूल जाओगे
या फिर भूलने की जुगत तलशोगे
बहुत आसान है एक प्रेमी को भूलना
लोग अपने अत्यन्त प्रिय को भूल जाते हैं
और किसी अजनबी का चेहरा उनके ज़ेहन में आ जाता है
तुम भी भूल जाओगे
मधुर है
भूलने का स्वाद ।