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मन के अंदर बैठ गया है / जहीर कुरैशी
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मन के अन्दर बैठ गया है
अनजाना डर बैठ गया है
जाने कब आँखों में आकर
एक समन्दर बैठ गया है
तूफ़ानों से लड़ते-लड़ते
बूढ़ा तरुवर बैठ गया है
शायद उस औरत के मन में
शक का विषधर बैठ गया है
जेठ माअस तक गाते-गाते
नदिया का स्वर बैठ गया है
पत्थर जल पर तैराया तो
तल में जाकर बैठ गया है
उस जन-जन के कलाकार में
मस्त कलंदर बैठ गया है .