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मय-ओ-मीना से यारियाँ न गईं / हसरत मोहानी

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मय-ओ-मीना<ref>शराब और बोतल</ref> से यारियाँ न गईं
मेरी परहेज़गारियाँ न गईं

मर के भी ख़ाके-राहे-यार हुए
अपनी उल्फ़त-शुआरियाँ<ref>प्रेम</ref> न गईं

अश्कबारी से सोज़े-दिल<ref>हृदय-ताप</ref> न मिटा
आह की शोलाबारियाँ <ref>आग बरसाना</ref>न गईं

हुस्न की दिलफ़रेबियाँ<ref>आकर्षण</ref> न घटीं
इश्क़ की ताज़ाकारियाँ न गईं

सबने छोड़ा तुझे, मगर ’हसरत’
दर्द की ग़मगुसारियाँ<ref>मैत्री</ref> न गईं

शब्दार्थ
<references/>