मरम न जानलूं जुआनी के / जयराम दरवेशपुरी
बहिना मरम न जानलूं जुआनी के
देलूं मइया के सुहाग कुर्वानी में
पहिल सिनेहिया के अइलउ संदेशवा कि
लगि गेलउ डोलिया दुआरी गे
एके दिन ले पियवा के मिललउ हल छुटिया कि
दुश्मन के जुटलइ गोहारी गे
छछनइत मनमाके नेग नेटि गेलउ खाली
आधे सुनलूं सीमा के कहानी गे
कउओ न डकलउ हल अइलउ बोलहरिया कि
लगि गेलउ जिपवा दुआरी गे चढ़ल जुअनियाँ के
दरकल छतिया में बिरहा के दाबलूं चिंगारी गे
मइया लगइलकउ दहिया के टिकवा कि
हम लेले चन्दना के थारी गे
हलसि के आरती उतारि के चलइलिअउ हल
मइया के जागाबइ लागी पानी गे
टैंक अउ जहजिया ले चढ़ि दुसमनमां कि
घुसलउ सिमनमां के लांघ गे
हम्हड़ि गरजलउ हिंद के धरतिया कि
दुसमन अइलउ लूटे लाज गे
धक्-धक् मइया के अँखिया धधकउ कि
चारो दिस गूंजलउ अवाज गे सहम-सहम बढ़इ
मइया के लाल सब दुसमन कइले हलइ पेरशानी गे
साजि केर टैंकवा के कूदलउ मैदनमां में
धुइयाँ से भरलउ अकाश गे बारूद के झोंकवा से
तिले-तिले झौंसि-झौंसि
दुसमन के करि देलकउ ऊ नाश गे
भागलउ सिमनमां से गीदड़ जमात सभे
कि जय जयकार गूंजइ असमानी गे
दोसर दिन सजि के जे
चललउ जहजिया में
मइया के जोगावे लागी लाज गे
बम विसफोटवा से रइ-रइ करि देलकउ
रडारो पर गिरलइ गाज गे
रहिया में जेतना जे
छेंकऽ हल जहजिया से
सभे केर कइले बरवाद गे
पुरूब के झोंक अइलउ
चुड़िये से टकरइलउ
खाली होलउ हाथ के सिंगार गे
हमर जुआनी आजो
सीमा पर अचल हकउ
मंगिया के ललकी निशानी गे।