मर्ज़ी-ए-मौला मौला जाने
मैं क्या जानूँ रब्बा जाने
डूबे कितने अल्ला जाने
पानी कितना दरिया जाने
आँगन की तक़सीम का क़िस्सा
मैं जानूँ या बाबा जाने
पढ़ने वाले पढ़ ले चेहरा
दिल का हाल तो अल्ला
क़ीमत पीतल के घुंघरू की
शहर का सारा सोना जाने
हिजरत करने वालों का ग़म
दरवाज़े का ताला जाने
गुलशन पर क्या बीत रही है
तोता जाने मैना जाने