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माँ की बची हुई हँसी / ब्रजेश कृष्ण
Kavita Kosh से
इस बार मैं घर गया
तो माँ से नहीं
माँ की तस्वीर से मिला
जीवन के अंतिम वर्ष की
इस तस्वीर में दर्ज है
माँ की अंतिम हँसी
हँसी: जो रहती थी घर में
हर जगह हर चीज़ में
बची है सिर्फ़ इस तस्वीर में
मैं नहीं लाया वह तस्वीर अपने साथ
माँ रही हमेशा जिस घर में
वहीं रहनी चाहिए
उनकी बची हुई हँसी
लौटा मैं उदास वहाँ
रहता हूँ इन दिनों जहाँ
दरवाज़ा खोलते हुए
हँसी मेरी बेटी तो मैं अवाक्
अरे! यहाँ कैसे ले आया मैं
माँ की बची हुई हँसी।