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मामूली ज़िन्दगी जीते हुए / कुंवर नारायण
Kavita Kosh से
जानता हूँ कि मैं
दुनिया को बदल नहीं सकता,
न लड़ कर
उससे जीत ही सकता हूँ
हाँ लड़ते-लड़ते शहीद हो सकता हूँ
और उससे आगे
एक शहीद का मकबरा
या एक अदाकार की तरह मशहूर...
लेकिन शहीद होना
एक बिलकुल फ़र्क तरह का मामला है
बिलकुल मामूली ज़िन्दगी जीते हुए भी
लोग चुपचाप शहीद होते देखे गए हैं