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मिसाल-ए-सेहरा उदास आँखें / 'महताब' हैदर नक़वी

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मिसाल-ए-सेहरा उदास आँखें
हैं किस क़दर बेलिबास आँखें

उसी के हिस्से में हैरतें हैं
हैं जिस क़दर जिसके पास आँखें

उदासियों से भरे बदन में
महकते ख़्वाबों की आस आँखें

हम अपना चेहरा भी ढूँढ लेंगे
अभी तो हैं उसके पास आँखें

किसी की आमद की मुन्तज़िर हैं
बिछी हुई आस पास आँखें