मुक्ति / ज़िन्दगी को मैंने थामा बहुत / पद्मजा शर्मा
लड़का उच्च शिक्षित था
लड़की भी पढ़ रही थी
दोनों विवाह सूत्र में बंध गए
कुछ ही समय बाद लड़के ने एलान किया-
मैं पढ़ लिया
मुझे ज्य़ादा पढ़ी-लिखी नहीं
घर संभाले ऐसी लड़की चाहिए
नौकरी नहीं, माँ बाप की सेवा है करवानी
आए-गयों की करे आवभगत ठीक से दे चाय-पानी
मेरा रखे ख्याल इस तरह
कि दिन-रात सुबह-शाम सही-गलत का हिसाब न माँगे
मेरे आगे-पीछे दौड़े-भागे
छोटी-छोटी बातों पर तनकर खड़ी न हो
ऐसा कोई काम न करे कि मुझे गुस्सा आ जाए
लड़के की ये बातें सुन रही थी लड़की चुपचाप
उसे कहा गया 'माँग रहा हूँ जवाब’
लड़की ने सहजता से दिया उत्तर-
'असल में आपको जीवन-साथी नहीं
नॉनपेड नौकरानी चाहिए
क्षमा करें वह मैं नहीं बन सकती
मैं ऐसे रिश्ते से करती हूँ इन्कार
मुझे दासता नहीं, चाहिए जीवन में प्यार