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मुझे यह अच्छा नहीं लगता / अमर सिंह छाछिया

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मुझे यह अच्छा नहीं लगता, जब आपस म्हं विरोध करते हैं।
कहते हैं हम पहले से इस भारत म्हं रहते हैं।...टेक

जब कुछ लोग आए भारत म्हं अधिकार उनका भी होगा।
राजा कै प्रतीक निष्ठा से ऊपर नहीं होगा।
भारत होणे की निष्ठा तै परै नहीं होगा।
इस भारतीय के अलावा कुछ नहीं होगा।
ये दूसरे के सुख म्हं रह दुखी ये देख कै जलते हैं...

मैं चाहता हूं लोग पहले भी भारतीय रहैं।
और अन्त तक ये भारतीय रहैं।
अधिकारों की सुरक्षा कानून से नहीं समाज तै रहैं।
सामाजिक नैतिक भावना द्वारा रहै।
मान्यता देने के लिए तैयार रहते हैं...

सामाजिक भावना ये प्रचार कर दे।
जाने माने अधिकारों का पेटा नै भर दे।
समुदाय-मूल अधिकारों का विरोध कर दे।
कोए भी संसद यो इंसाफ ना कर दे।
कदे भी आश्वासन नहीं दे सकते हैं।...

तुम्हारा कर्तव्य है कारवां सदा आगे ले जाओ।
अगर आगे ना बढ़ सके तो इसनै उरै ए छोड़ जाओ।
थाम सारे हो कुर्बान इस पै इसनै पीछै ना जाण देओ।
थारे यो ऐ पूरे करैगा इस पै ताण देओ।
अमरसिंह बड़सी आला हम सारै हाथी पै बैठे हैं...