मुझे सूर्यास्त प्याले में ला दो / एमिली डिकिंसन
मुझे सूर्यास्त प्याले में ला दो
सुबह की सुराहियाँ गिनो
और बताओ ओस कितनी है,
मुझे बताओ सुबह कितनी दूर छलाँग लगाती है-
मुझे बताओ आकाश की चौड़ाइयाँ बुनने वाला जुलाहा
किस वक़्त सोता है !
मुझे लिखो अचरज भरी टहनियों के बीच
नवजात चिड़िया की भाव-समाधि में
कितने स्वर होते हैं-
कछुआ कितने चक्कर काटता है-
विलासी भँवरा ओस के कितने प्याले,
साझेदारी में पी जाता है !
यह भी कि, इंद्रधनुष के पाये किसने रखे,
यह भी कि लचीले आकाश की टहनियों से
कौन नम्र तारों की अगवानी करता है ?
किसकी उँगलियाँ स्टेलेक्टाइट पिरोती हैं -
कुछ भी शेष न रहा देखने के लिए
कौन रात के मनके गिनता है ?
यह छोटा-सा अलबन हाउस किसने बनाया
और खिड़कियाँ ऐसे बंद कर लीं
क्या मेरी आत्मा नहीं देख सकती ?
कौन मुझे आड़ंबर के परे
किसी उत्सव-दिवस पर दूर उड़ जाने के लिए
उपकरणों के साथ बाहर निकालेगा ?
अँग्रेज़ी से अनुवाद : क्रांति कनाटे