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मुट्ठी भर आसमान / वाज़दा ख़ान
Kavita Kosh से
आकाश में टँगी तमाम ख़्वाहिशों
में से
अपनी पसन्द की ख़्वाहिश
बीन लेना चाहती हूँ मैं
हमेशा के लिए
सहेजकर ज़िन्दगी की हर
सतह पर रखना चाहती हूँ
ताकि वो निरन्तर मुझे
प्रेरित करती रहें
मुट्ठी भर आसमान पाने के लिए
अपने हिस्से की धूप
स्याह आँचल में
भर लेने के लिए
ज़िन्दगी का एक हसीन टुकड़ा
हिस्से में आई
बंजर ज़मीन पर
उगा लेने के लिए ।