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मुफ़लिसों पर हँसा नहीं करते / अनु जसरोटिया
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मुफ़लिसों पर हँसा नहीं करते
हम तो ऐसी ख़ता नहीं करते
चांदनी कह रही है हंस हंस कर
चांद सब को मिला नहीं करते
जाने किस दम ज़मीं पे आ जाएं
इतना ऊँचा उड़ा नहीं करते
झूट, धोका, फ़रेब, मक्रो-रिया
लोग दुनिया में क्या नहीं करते
जिनकी ख़ानाबदोशी फ़ितरत है
वो कहीं भी बसा नहीं करते
बंधुआ मज़दूर को कभी मालिक
हक़्क़े- मह्नत अदा नहीं करते