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मुश्किल से लिखा जाता है... / सुरेश सलिल


मुश्किल से लिखा जाता है इराक़ का हिज्जे

लिख जाने पे' रंग लाता है इराक़ का हिज्जे


हर सू हों सितमगर औ' कोई पासबाँ न हो

शोलों को भी शरमाता है इराक़ का हिज्जे


बग़दाद पर वाशिंग्टन लिखना नहीं आसाँ

आलम को जता जाता है इराक़ का हिज्जे


इस दौर-ए-सियासत में ज़ौर-ओ-जब्र के बरअक्स

इक मा'नी नया पाता है इराक़ का हिज्जे


इराक़ के हिज्जे में वियेतनाम की सूरत

क्या ख़ूब दिखा जाता है इराक़ का हिज्जे


(रचनाकाल : 2003)