भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मुश्किल से लिखा जाता है... / सुरेश सलिल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


मुश्किल से लिखा जाता है इराक़ का हिज्जे

लिख जाने पे' रंग लाता है इराक़ का हिज्जे


हर सू हों सितमगर औ' कोई पासबाँ न हो

शोलों को भी शरमाता है इराक़ का हिज्जे


बग़दाद पर वाशिंग्टन लिखना नहीं आसाँ

आलम को जता जाता है इराक़ का हिज्जे


इस दौर-ए-सियासत में ज़ौर-ओ-जब्र के बरअक्स

इक मा'नी नया पाता है इराक़ का हिज्जे


इराक़ के हिज्जे में वियेतनाम की सूरत

क्या ख़ूब दिखा जाता है इराक़ का हिज्जे


(रचनाकाल : 2003)