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मुसीबत अभी है बहुत ही बड़ी / बाबा बैद्यनाथ झा
Kavita Kosh से
मुसीबत अभी है बहुत ही बड़ी।
किसी फ़ैसले की नहीं है घड़ी।
बचे जान कैसे नहीं है पता,
बड़ी व्याधि है आज पीछे पड़ी।
करोड़ों मरे लोग दो चक्र में,
अभी तीसरी भी लहर है खड़ी।
नहीं भागती लाख कोशिश करो,
बनी मौत जिद्दी अभी तक अड़ी।
करे काल ‘बाबा’ मुरव्वत नहीं,
मिलें रोज़ लाशें नदी में सड़ी।