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मेघा घहरावेॅ कि पानी बरसावेॅ / भवप्रीतानन्द ओझा
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झूमर (झुमटा)
मेघा घहरावेॅ कि पानी बरसावेॅ
मेघा घहरावेॅ कि पानी बरसावेॅ
बंधुआ लागी, राति जीहा तरसावे
झलकें बिजुरिया कि कुहुकेॅ कोइलिया
पपीहा पापी...
पिया पिया सुनावे, पपीहा पापीं
पिया मन भावेॅ कि मदन सतावेॅ
पिया मन भावेॅ कि मदन सतावेॅ
उमड़ेॅ रसें
मोर जोबना पीरावे, उमड़ेॅ रसें
फूलें गुंजे भौंरा कि डारी नाचेॅ मौरा,
फूलें गुंजे
भवप्रीता
हरि-चरणों लोटावेॅ कि भवप्रीता।