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मेरा नाम / शरद कोकास

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उस नाम के पहले अक्षर से
शुरू होता है मेरा नाम
जिसके लिए फरहाद ने
नहर खोद डाली थी
जिसके जूठे बेरों का स्वाद
राम ने चखा था
जिसके माथे पर
अफ्रिका के बूढ़े बाबा ने
आशीष भरे होंठ रखे थे

उस नाम के पहले अक्षर से
शुरू होता है मेरा नाम
जिसकी लौ में जल जाते हैं परवाने
जिसे फूँकने पर
देवताओं के कान खड़े होते हैं

मेरा नाम इतना पुराना भी नहीं
कि नाम की वजह से ग्लानि हो
नया भी नहीं इतना कि सुनकर
अभिजात बू आती हो
मेरा मक़सद पहेलियाँ बुझाना नहीं
पहचान बनाना भी नहीं
मैं बचाना चाहता हूँ
उन अक्षरों को
जिनसे बने नाम
अपने अस्तित्व के लिये
लड़ रहे हैं

मैं बचाना चाहता हूँ
उन शब्दों को
जो अक्षरों के उलटफेर से बनते हैं
अफसोस उनका इस्तेमाल कर
लोग
हाथ जबान और सर क़लम कर देते हैं।

-1996