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मेरा सवाल है, न तुम्हारा सवाल है / शेरजंग गर्ग
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मेरा सवाल है, न तुम्हारा सवाल है।
जब आदमी का इस कदर जीना मुहाल है।
सब रंग धुल गए, हुआ गायब गुलाल है,
इंसानियत की शक्ल पर केवल मलाल है।
वो बेगुनाह था, मगर बन्दी है आजकल,
जिसने किया था क़त्ल, हुआ वह बहाल है।
इस सादगी के साथ में बान्धी गई हवा,
अब खुद ही कह रहे हैं भाई क्या कमाल है।
सब टूट गया, किंतु दिखाई नहीं दिया,
भोले भरम का टूटना भी बेमिसाल है।