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मेरी माँ / बैर्तोल्त ब्रेष्त / मोहन थपलियाल
Kavita Kosh से
और जब वह नहीं रही, उन्होंने उसे
मिट्टी में गाड़ दिया
फूल खिलते रहे, तितलियाँ उसके ऊपर
बाजीगरी दिखाती रहीं...
वह इतनी हलकी कि मुश्किल से
मिट्टी धँसी होगी उसके बोझ से
कितनी मुश्किल हुई होगी,
उसे इतना अधिक हलका बनाने में ।
(1920-25)
मूल जर्मन भाषा से अनुवाद : मोहन थपलियाल