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मैंने किसी के सामने सज़दा नहीं किया / फूलचन्द गुप्ता

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मैंने किसी के सामने सज़दा नहीं किया
शायद कहेंगे लोग ये अच्छा नहीं किया

मालिक हूँ मैं मकान का लो उम्र ढल गई
ग़र्दिश में रोज़गार है, सौदा नहीं किया

हर्बा<ref>अस्त्र, हथियार</ref> थे, तअलीम<ref>शिक्षा-​दीक्षा, ज्ञान, उपदेश। </ref> थी, मौक़ा-ए-क़त्ल था
लेकिन रफ़ीक-ए-गाह पे हमला नहीं किया

आये कई मक़ाम जब, मैं भी सफल हुआ
खोकर नशे में होश यूँ हल्ला नहीं किया

शब्दार्थ
<references/>