मैं महकता हूँ / रोके दाल्तोन / उज्ज्वल भट्टाचार्य
मैं महकता हूँ, मातम के रंग की तरह उन दिनों
जब अपनी क़ीमत पर फूल मुरझाते हैं
सूखे के दिनों में मरते किसी ग़रीब की तरह
जबकि पता हो कि जल्द ही बारिश होगी ।
मैं महकता हूँ, किसी छोटी-मोटी तबाही के सिलसिले की तरह
जिसमें सारी लाशें संजोकर रखी गई हों ।
मैं महकता हूँ, धरम में बदली गई पुरानी इबादत की तरह
जिसकी धधकती लपट इज़्ज़त से गद्दीनशीं की गई हो ।
मैं महकता हूँ, समन्दर से कहीं दूर बिना किसी बहाने के
मैं थोड़ा सा मर जाऊँगा इस महक के चलते ।
मैं महकता हूँ, हलकी सी मातमपुर्सी की तरह
ज़र्द साए की तरह, मुर्दाघर की तरह ।
मैं महकता हूँ, लोहे के पसीने की तरह, धूल की तरह
चान्दनी के तले धरती पर फ़िसलते हुए
भुलभुलैया के सामने पड़े हड्डी के टुकड़े की तरह
पौ फटने की घड़ी के धुन्ध में ।
मैं महकता हूँ, जानवर सा जिसे सिर्फ़ मैं ही जानता हूँ
मखमल के ऊपर बेहोश ।
मैं महकता हूँ, किसी बच्चे की बनाई कच्ची तस्वीर की तरह
उस अज़ल सा जिसकी किसी को परवाह नहीं ।
मैं महकता हूँ यूँ कि मानो हर बात के लिए देर हो चुकी हो ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद "उज्ज्वल भट्टाचार्य