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मैं हिन्दू हूँ / देवेन्द्र आर्य

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इतना हिन्दू तो हूँ ही कि मन्दिर से लौटी
पत्नी के प्रसाद देने पर उसे माथे से छुआ कर ग्रहण करूँ

पूजा-पाठ न सही
पर्व-त्यौहार पर गोड़ रँगा लूँ
पियरी में रहूँ टाई न बान्धूँ

इतना हिन्दू तो हूँ ही कि पण्डित जी की
सेन्दूर-अच्छत सनी मध्यमा के आगे सर पर हाथ रखकर माथा आगे कर दूँ

नहीं मानता गाय को माँ
पर काटो तो याद आए उसका दूध

मेरे हिन्दू होने में इतनी प्रगतिशीलता बची है
कि किसी के फ़्रीज की तलाशी का विरोध करूँ
खाए जिसको जो पसन्द
पर बीफ़ खाने का सामूहिक प्रोपेगण्डा क्यों ?

पोर्क खाने की कोई बड़बोली प्रगतिशील पोस्ट
क्यों नहीं डालता कोई
तौबा ! तौबा !

मगर बीफ़
वकअप !

हिन्दू हूँ पर इतना हिन्दू नहीं
कि न कहने पर भड़क जाऊँ
देशद्रोही मान लूँ
पर इतना हिन्दू तो हूँ ही कि वन्देमातरम् से परहेज़ पर
दुखी होऊँ

इतना आज़ाद ख़याल भी नहीं कि आज़ादी को
चीवर बना दूँ
ग़ुलामी को गलदोदई
प्रगतिशीलता को चिढ़ौनी

हिन्दू हूँ पर ऐसा हिन्दू भी नहीं
कि जय श्रीराम की चिकोटी काटूँ

हिन्दू हूँ पर इतना कट्टर नहीं कि
मुँह में पेशाब की तरह श्री राम घुसेड़ दूँ
पीट-पीटकर जान ले लूँ

उतना हिन्दू नहीं हूं
जितने की आपको सरकार बनाने
चलाने गिराने की दरकार है

पर उतना हिन्दू तो हूँ कि हिन्दुुत्व को
पागल हाथी बनते देख दुखी होऊँ

मैं हिन्दू हूँ
और अस्तित्व आस्था अस्मिता के सवाल को
हिन्दुओं के लिए भी ज़रूरी समझता हूं

इतना कम हिन्दूू भी नहीं कि देवेन्द्र आर्य की जगह
अपना नाम दानिश अरशद रख लूँ

इतना कुटिल हिन्दू भी नहीं
कि दानिश अरशद को देवेन्द्र आर्य बनने पर
मजबूर करूँ ।

25 जून 2019