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मौज में आ, खुब आई बारिशें / अश्वनी शर्मा

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मौज में आ, खूब आई बारिशें
ऊपरी जैसे कमाई बारिशें।

एक सहरा लाख चिल्लाता रहा
गर न आई, तो न आई, बारिशें।

वो समन्दर झेलता तूफान अब
जिस समन्दर ने बनाई बारिशें।

सुन रहे हर बार कुछ बदलाव है
पर वही देखी दिखाई बारिशें।

इक तरफ है बाढ़, है सूखा कहीं
जान देकर, यूं निभाई, बारिशें।

हम पकड़ दामन हया का रह गये
देर तक लेकिन नहाई बारिशें।

आसमां आयोग अब बैठायेगा
दायरों में क्यों समाई बारिशें।