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यह धरती हमारा ही स्वप्न है / आलोक श्रीवास्तव-२
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यह धरती हमारा ही स्वप्न है
रचनाकार | आलोक श्रीवास्तव-२ |
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प्रकाशक | संवाद प्रकाशन, आई-499, शास्त्रीनगर, मेरठ- 250 004 (उत्तरप्रदेश) |
वर्ष | 2006 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | कविताएँ |
विधा | छन्दहीन |
पृष्ठ | 104 |
ISBN | 81-87524-88-x |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
एक आवाज़ पुकारती है
- यह युग / आलोक श्रीवास्तव-२
- मौजूदा मध्य-वर्ग / आलोक श्रीवास्तव-२
- मध्य-वर्ग का मध्य-मार्ग / आलोक श्रीवास्तव-२
- जो युग हम बदल नहीं सके / आलोक श्रीवास्तव-२
- ज़मीर की आवाज़ / आलोक श्रीवास्तव-२
- धरती आज फिर अलाव पर है /आलोक श्रीवास्तव-२
- मूल्यांकन / आलोक श्रीवास्तव-२
- स्वप्न और यथार्थ के बीच / आलोक श्रीवास्तव-२
- तुम्हारा यह संसार / आलोक श्रीवास्तव-२
- कबीर / आलोक श्रीवास्तव-२
आज देश में नहीं है वसंत
- एक भाषा का विषाद काल / आलोक श्रीवास्तव-२
- हिंदी का लेखक / आलोक श्रीवास्तव-२
- राम का आँसू /आलोक श्रीवास्तव-२
- आज देश में / आलोक श्रीवास्तव-२
- रावी के तट जली एक चिता की राख / आलोक श्रीवास्तव-२
- औपनिवेशिक समाज में न्याय और उसका तन्त्र / आलोक श्रीवास्तव-२
- एक विचित्र गणतंत्र / आलोक श्रीवास्तव-२
- एक कस्बे के स्कूल मास्टर की डायरी का एक पन्ना / आलोक श्रीवास्तव-२
- निराला का वसंत / आलोक श्रीवास्तव-२
जहाँ यात्राएँ हैं, लोग हैं...
- राहें बुलाती हैं / आलोक श्रीवास्तव-२
- दुख से जारी है एक जंग / आलोक श्रीवास्तव-२
- पहाड़ियों में कहानियाँ / आलोक श्रीवास्तव-२
- सुबह में है एक सपना / आलोक श्रीवास्तव-२
- एक हरे दरख़्त की ओर / आलोक श्रीवास्तव-२
- इस उदासी को बचाना होगा / आलोक श्रीवास्तव-२
- दुख के दिनों में कविता / आलोक श्रीवास्तव-२
- हवाओं में जिनके गीत हैं / आलोक श्रीवास्तव-२
युगांत की यह गोधूलि
- देर रात का समुद्र / आलोक श्रीवास्तव-२
- एक ग़ुलाम देश की दीवाली / आलोक श्रीवास्तव-२
- यह धरती हमारा ही स्वप्न है. / आलोक श्रीवास्तव-२
सुदूर एक और ही युग है