यह नए दिन का उजाला देख लो
सूर्य के हाथों में भाला देख लो
धूप बरछी ले उतरती भूमि पर
छँट रहा तम अंध पाला देख लो
भूख ने इतना तपाया भीड़ को
हो गया पत्थर निवाला देख लो
फूटने के पल सिपाही जन रहा
किस तरह हर एक छाला देख लो
शांत था कितने दिनों से सिंधु यह
आज लेता है उछाला देख लो