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याद रक्खा है तुम्हें हमने इबादत की तरह / रंजना वर्मा

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याद रक्खा है तुम्हें हमने इबादत की तरह
तुम हमारे साथ हो रब की इनायत की तरह

रात दिन चिंता सताती है यही हमको सनम
कर न ले कब्ज़ा कोई तुम पर विरासत की तरह

अब नहीं लैला न ही मजनूं न कोई हीर है
लोग तो अब इश्क़ भी करते सियासत की तरह

मिल हमें जाओ किसी भी मोड़ पर ग़रचे कभी
साथ रख लेंगें तुम्हे अच्छी सी आदत की तरह

ख़्वाब सारे बेवफ़ा अरमान दुश्मन हो गये
बढ़ रही हैं धड़कनें जैसे बग़ावत की तरह

सँग हवाओं के बिखरते जा रहे नग़मे कई
लिख दिये पैग़ाम फूलों ने शरारत की तरह

है रखी तस्वीर दिल मे देखते शामो सहर
तुम बसे हर आरजू में पाक़ चाहत की तरह