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यूरोप ते आयौं मदारी एक भारत में / नाथ कवि

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यूरोप ते आयौं मदारी एक भारत में।
डुमडुमी बजाके दिखाया कुछ मेल था॥
जुरमिल के आये खिलाड़ी सब हिदबासी।
जिन्ना कौं जमूड़ा बनाना एक केल था॥
एकहूँ चली ना वीर बुड्ढे के अगारी ‘नाथ’।
भारी घबड़ानौं नाम मिस्टर बावेल था॥
चालें अनेक चली दीनी ना छदाम एक।
सिमला सम्मेलन या मदारियौं का खेल था॥