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यौवन-2 / मरीना स्विताएवा / वरयाम सिंह

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जल्दी ही चिड़ियों के झुण्ड में से
तुम आ फँसोगे जादू के जाल में
आओ, यौवन, खड़े हो लें तूफ़ानों के सामने एक साथ
सान्त्वना दो, यौवन, अपनी बहन को विदा-क्षणों में ।

चमक उठो, जामुनी रंग के लहँगे की तरह
ओ मेरे यौवन, मेरी साँवली फ़ाख़्ता,
मेरे हृदय की बेचैनी,
सान्त्वना दो, नाच लो, ओ मेरे यौवन !

नाचो, ओ नीले आसमानी शाल,
ओ पगले यौवन, कुछ शरारत तो करो,
बहुत नाच लिए अब चले जाओ — 
ओ मेरे सोना, मेरे नीलम !

यों ही नहीं छूती मैं तुम्हारे हाथ,
प्रिय की तरह तुमसे लेती हूँ विदा,
ओ मेरे हृदय की गहराइयों में से निकले यौवन,
मेरे यौवन, चले जाओ किसी दूसरे के पास !
 
20 नवम्बर 1921
मूल रूसी से अनुवाद : वरयाम सिंह