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रंग कुछ शोख़ से तस्वीर में भर कर देखो / 'मुमताज़' मीरज़ा
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रंग कुछ शोख़ से तस्वीर में भर कर देखो
ज़िंदगी शोख़ है इस शोख़ पे मर कर देखो
एक पल के लिए ‘मुमताज’ ठहर कर देखो
दिल की जानिब भी ज़रा एक नज़र कर देखो
अपनी हस्ती का सनम तोड़ो तो पाओगे नजात
रेत के ज़र्रों की मानिंद बिखर कर देखो
कितना प्यारा है जहाँ कितनी हसीं है ये हयात
यास ओ अंदोह के दरिया से गुज़़र कर देखो
लब-ए-साहिल पे तो ‘मुमताज’ न मिल पाया सुकूँ
सैल-ए-तूफ़ान-ए-हवादिस से गुज़र कर देखो