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रविवार और बच्चे : दो / इंदुशेखर तत्पुरुष

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बच्चे उदास हैं
पापा को जाना है बाहर
अबके रविवार
सोचते हुए बच्चे
भूल जाते हैं थोड़ी देर में
दिनभर इधर-उधर
टी.वी., होमवर्क या खेलते-कूदते
आपस में झगड़ते निकल जाता है सारा दिन
रात को जागते हैं देर तक करते इन्तजार
पूछते मम्मी से
जयपुर की आखिरी बस का टाईम
सोते हुए मुस्कुराते हैं
बहुत महीन
सुबह उठते ही सबसे पहले
कौन खुखेरेगा-पापा की अटैची।