भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

रहे सजा भारत का भाल / रंजना वर्मा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रहे सजा भारत का भाल
चले न दुश्मन टेढ़ी चाल

रात दिवस के पहरेदार
सीमा पर भारत के लाल

पड़ जाये यदि करना युद्ध
सैनिक अपने करें कमाल

उत्तर दिशि दे हिमगिरि ओट
दक्षिण सिन्धु-लहर उत्ताल

चीन चले ख़ंजर ले हाथ
उधर पाक नित करे बवाल

काश्मीर में छिप गद्दार
फैलाते आतंकी जाल

दुश्मन रहे अकारण छेड़
करें खून से धरती लाल

बचें न कोई धोखेबाज
हाल करो उनका बेहाल

जो सैनिक देते बलिदान
उन से उन्नत माँ का भाल