रामाज्ञा प्रश्न / प्रथम सर्ग / सप्तक ५ / तुलसीदास
मन मलीन मानी महिप कोक कोकनद बृंद।
सुहृद समाज चकोर चित प्रमुदित परमानंद॥१॥
(श्रीरामके धनुष्य तोड़्नेसे) चकवा पक्षी और कमलसमूहके समान अभिमानी राजाओंका मन मलिन (म्लान) हो गया और (महाराज जनकके) प्रियजनोंके समाजका चित्त चकोरोंके समान अत्यंन्त आनन्दसे प्रसन्न हो गया॥१॥
(यह शकुन विपक्ष पर विजय सूचित करता है।)
तेहि अवसर रावन नगर असगुन असुभ अपार।
होहिं हानि भय मरन दुख सूचक बारहिं बार॥२॥
उस समय रावणके नगर (लड्का) में अशुभदायक बहुत अधिक अपशकुन हुए, जो बार-बार यह सुचित करते थे कि हानि, भयकी प्रात्पि, मरण और दुःख होगा॥२॥
(यह शकुन अनिष्ट सूचित करता है।)
मधु माधव दसरथ जनक, मिलब राज रितुराज।
सगुन सुवन नव दल सुतरु, फुलत फलत सुकाज॥३॥
महाराज दशरथ और महाराज जनक चैत्र-वैशाखके समान हैं, उनक मिलन ऋतुराज वसन्त है। इस समयके शकुन उत्तम वृक्षसे नवीन कोपल फूटनेके समान हैं, जो शुभकार्यरूपी पुष्प और फल देते हैं॥३॥
(शुभकार्य सम्बन्धी प्रश्न का फल सुखदायक है।)
बिनय पराग सुप्रेम रस, सुमन सुभग संबाद।
कुसुमित काज रसाल तरु सगुन सुकोकिल नाद॥४॥
उनकी (महाराज दशरथ और जनकजीकी परस्परकी विनम्रता पुष्प-पराग है, (परस्परका) उत्तम प्रेम रस (मधु) है और उनका परस्पर संभाषण पुष्प है। इस समयका कार्य (श्रीसीता-रामका विवाह) ही आमके वृक्षमें पुष्प (मौर) लगना है, जिसमें शकुन कोकिलकी कूकके समान होते हैं॥४॥
(प्रश्न- फल उत्तम है।)
उदित भानु कुल भानु लखि लुके उलूक नरेस।
गये गँवाई गरूर पति, धनु मिस हये महेस॥५॥
सूर्यकुलके सूर्य (श्रीराम) को उदित देखकर उल्लुओंके समान (अभिमानी) राजालोग अपना गर्व और सम्मान खोकर छिप गये। मानो शंकरजीने हो (अपने) धनुषके बहाने उन्हें नष्ट कर दिया॥५॥
(प्रश्न का फल पराजयसुचक तथा निकृष्ट है।)
चारि चारु दसरथ कुँवर निरखि मुदित पुर लोग।
कोसलेस मथिलेस को समउ सराहन जोग॥६॥
महाराज दशरथके चारों सुन्दर कुमारोंको देखकर जनकपुरके लोग आनन्दित हो रहे हैं। महाराज दशरथ तथा महराज जनकका समय (सौभाग्य) प्रसंसा करने योग्य है॥६॥
(प्रश्न का फल उत्तम है।)
एक बितान बिबाहि सब सुवन सुमंगल रूप।
तुलसी सहित समाज सुख सुकृत सिंधु दोउ भूप॥७॥
तुलसीदासजी कहते हैं-पुण्यके समुद्रस्वरूप दोनों नरेश (दशरथजी और जनकजी) एक ही मंडपके नीचे सुमंगलके मूर्तिमान रूप सभी (चारों) पुत्रोंका विवाह करके समाजके साथ सुखी हो रहे हैं॥७॥
(विवाहदि मंगल-कार्यसंबधी प्रश्नाका फल उत्तम है।)