राम जनम सुभ सगुन भल सकल सुकृत सुख सारु।
पुत्र लाभ कल्यानु बड़, मंगल चारु बिचारु॥१॥
श्रीरामका जन्म उत्तम शुभ शकुन है, समस्त पुण्योंका तथा सुखों का सार है। पुत्रकी प्राप्ति होगी, परम कल्याण होगा, सुन्दर मंगल समझो॥१॥
दसरथ कुल गुरु की कॄपाँ सुत हित जाग कराइ।
पायस पाइ बिभाग करि रानिन्ह दीन्ह बुलाइ॥२॥
महराज दशरथने कुलगुरु (वसिष्ठजी) की कृपासे पुत्रेष्टि यज्ञ कराकर (प्रसादरूपमें) खीर पाकर; रानियोंको बुलाकर उसका विभाग करके उन्हें दे दिया॥२॥
(प्रश्न फल शुभ है।)
सब सगरभ सोहहिं सदन सकल सुमंगल खानि।
तेज प्रताप प्रसन्नता रूप न जाहिं बखानि॥३॥
सब रानियाँ गर्भवती होकर (अयोध्याके) राजमहलमें सुशोभित हो रही हैं। वे समस्त शुभ मंगलोंकी खानें (निवासभूत) हैं। उनके तेज, प्रताप, आनन्द और सौन्दर्यका वर्णन नहीं किया जा सकता॥३॥
(प्रश्न फल श्रेष्ठ है।)
देखि सुहावन सपन सुभ सगुन सुमंगल पाइ।
कहहिं भूप सन मुदित मन हर्ष न हृदयँ समाइ॥४॥
सुहावना स्वप्न देखकर तथा मंगलमय शकुन पाकर प्रसन्न मनसे (रानियाँ उसका वर्णन। महाराज (दशरथ) से कहती हैं, प्रसन्नता हृदयमें समाती नहीं (बाहर फुटी पड़ती है)॥४॥
(प्रश्न फल शुभ है।)
सपन सगुन सुनि राउ कह कुलगुरु आसिरबाद।
पूजिहि सब मन कामना, संकर गौरि प्रसाद॥५॥
(रानियोंका) स्वप्न तथा शकुन सुनकर महाराज दशरथजी कहते हैं, (यह सब) कुलगुरु (वसिष्ठजी) का आशिर्वाद है। श्रीशड्करजी तथा पार्वतीजी की कृपासे मनकी सब अभिलाषा पूर्ण होगी॥५॥
(प्रश्न फल उत्तम है।)
मास पाख तिथि जोग सुभ नखत लगन ग्रह बार।
सकल सुमंगल मूल जग राम लीन्ह अवतार॥६॥
जिस समय समस्त श्रेष्ठ कल्याणोंके मूल श्रीरामने संसारमें अवतार लिया, उस समय महीना, पक्ष, तिथि, योग, नक्षत्र, लग्न, ग्रह तथा दिन-सभी शुभ थे॥६॥
(प्रश्न-फल शुभ है।)
भरत लखन रिपुदवन सब सुवन सुमंगल मुल।
प्रगट भए नृप सुकृत फल तुलसी बिधि अनुकुल॥७॥
भरत लक्ष्मण शत्रुघ्न-ये सब श्रेष्ठ मंगलोंके मूलस्वरुप पुत्र महाराज दशरथके पुण्योंके फलस्वरूप प्रकट हुए। तुलसीदासजी कहते हैं कि (इस शकुनद्वारा सूचित होता है कि) विधाता (भाग्य) अनुकूल है॥७॥