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रास्ता यूँ मेरा ढलान में है / डी. एम. मिश्र
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रास्ता यूँ मेरा ढलान में है
हौसला फिर भी आसमान में है
वो किसी और गुलिस्ताँ में कहाँ
सुर्ख गुल जो मेरे गुलदान में है
प्यार, ममता जो मेरी मां देती
वो कहां और इस जहान में है
वो दवा आज तक बनी ही नहीं
एक प्यारी सी जो मुस्कान में है
मुझको पुरखों की विरासत प्यारी
एक खटिया अभी दालान में है
मेघ उमड़े हैं तो बरसेंगे भी
ये भरोसा किसी किसान में है
वो मिठाई में ना खटाई में
बात इन्सां की जो ज़ुबान में है
कैसे बेफ़िक्र भला हो पाऊँ
मेरा हर लम्हा इम्तेहान में है