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रिश्ता हमारे बीच का ऐसा बना रहे / फूलचन्द गुप्ता

रिश्ता हमारे बीच का ऐसा बना रहे
जब बात हो, फिर बात की संभावना रहे

पानी तुम्हारे ताल में पर्याप्त हो सदा
बादल हमारे खेत पर काला-घना रहे

परचम रहे पलाश की रंगीन सरहदें
झण्डा किसी का ख़ून में क्योंकर सना रहे

हो दरमियान ख़ौफ़ न, शर्म-ओ-हया न हो
जब भी मिलें तो गर्व से सीना तना रहे

अपना ज़मीर साफ हो अपनी ज़बाँ दुरुस्त
क्यों हाथ में किसी का और झुनझुना रहे