रिश्तों की जंजीर न माँगो 
मुझ से मेरी पीर  न माँगो 
अश्क़ों  में  डूबी  आँखों से
नज़रों की शमशीर न माँगो 
खाली दामन खला जिंदगी
तुम ऐसी  तकदीर न माँगो 
धोखे से जो लगे श्रवण को
कोई  ऐसा   तीर  न   माँगो 
ख कर दुआ गालियाँ दे जो
ऐसा मस्त फ़कीर  न माँगो 
आपस में  दुश्मनी  बढ़ाये
ऐसी तो  तदबीर  न  माँगो 
स्याह रँगों से बनी हुई जो
वो  मेरी  तस्वीर  न  माँगो