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रिश्तों की जंजीर न माँगो / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
रिश्तों की जंजीर न माँगो
मुझ से मेरी पीर न माँगो
अश्क़ों में डूबी आँखों से
नज़रों की शमशीर न माँगो
खाली दामन खला जिंदगी
तुम ऐसी तकदीर न माँगो
धोखे से जो लगे श्रवण को
कोई ऐसा तीर न माँगो
ख कर दुआ गालियाँ दे जो
ऐसा मस्त फ़कीर न माँगो
आपस में दुश्मनी बढ़ाये
ऐसी तो तदबीर न माँगो
स्याह रँगों से बनी हुई जो
वो मेरी तस्वीर न माँगो