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रुकी हुई बस में चुटकलों... / ब्रजेश कृष्ण
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उमस भरी गर्मी में
रुकी हुई बस पर
बेचने आया कोई चुटकुलों की किताब
मैंने उसे प्यार से देखा
और इस्तेमाल किया उसकी उपस्थिति का
गर्मी और उमस के खि़लाफ़
मुझे याद आया कि हिटलर को चुटकुले नापसंद थे
कोई भी तानाशाह पसंद नहीं करता चुटकुले
वह डरता है हँसी से
किले के भीतर नहीं हँससा जा सकता
किसी भी चुटकुले पर
तानाशाह की मर्ज़ी के खि़लाफ़
इसके पहले कि बस चले और उतर जाये
वह चुटकुले बेचने वाला
मैं गिन लेना चाहता हूँ
कि इस कठिन समय में
हममें से कितने हैं ऐसे
जो हँस सकते हैं किसी भी चुटकुले पर
तानाशाह की मर्ज़ी के खि़लाफ़