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रेती में लगे गुलमोहर गुलशन में वीराना है / ईश्वर करुण
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रेती में लगे गुलमोहर गुलशन में वीराना है
दरिया से है मुंह फेरे कतरे का फसाना है
दिल अब नहीं धड़केगें आशिक और माशूक के
जज़बात के खेतों में कम्प्युटर उपजाना है
बारूद के साये में पलटे है यहाँ रिश्ते
आदम के ठिकाने पर हौवा का निशाना है
इस दौरे-सियासत में तरक्की का ये नुस्खा है
तुमको यदि खाना है तो हाकिम को खिलना है
इस शब्बे सियाही में एहसासे तनहाई है
कहने को एक ‘ईश्वर’ है सुनने को जमाना है