भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
रोज़ नये फैशन के चेहरे / सुनो तथागत / कुमार रवींद्र
Kavita Kosh से
क्या बतलाएँ
इस घर में बच्चे उदास हैं
घर में सब कुछ है -
फ्रिज-टी.वी. औ' कंप्यूटर
नदी-घाट का
लेकिन है सूना पूजाघर
'वेबसाईट' भी
हर बच्चे के लिए खास है
जुड़े हुए हैं सारे कमरे
'डॉट-कॉम' से
सपने 'बुक' हैं
हर बच्चे के अलग नाम से
मम्मी-पापा के
कमरे बस पास-पास हैं
धरती-पेड़-हवाएँ
घर से बहुत दूर हैं
आसमान की बातें
इस घर में ज़रूर हैं
रोज़ नये फैशन के
चेहरे औ; लिबास हैं