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रोनेवाले / गोपीकृष्ण 'गोपेश'
Kavita Kosh से
रोनेवाले, रोना कम कर !
पन्थी जो इस पथ से आते,
तुझे देख पलभर रुक जाते,
थोड़ा दिन, घर बहुत दूर है,
हिम्मत उनकी चूर-चूर है !
तू रोता है, नभ रोता है,
श्याम, सघन घन छाए पथ पर !
रोनेवाले, रोना कम कर !!
उसका इकलौता बेटा था,
कल शैया पर हंस लेटा था,
उसे जलाने आज गया वह,
उसे बहाने आज गया वह,
वह आता है, उसके आंसू
उसके नयनों में हैं पत्थर !
रोनेवाले, रोना कम कर !!
सन्ध्या के तारे हैं मोती,
दुनिया इनमें हंसती-रोती !
रोदन जीवन की परिभाषा,
आहें जीवन की अभिलाषा !
उस तट से कहता है कोई —
मुझमें तुझमें कितना अन्तर !
रोनेवाले, रोना कम कर !!