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लगा के कर हुज़ूर इतना न ज्यादा छीनो / डी. एम. मिश्र
Kavita Kosh से
लगा के कर हुज़ूर इतना न ज्यादा छीनो
किसी ग़रीब के मुंह का न निवाला छीनो
हमारा देश बुलंदी पे आसमाँ की रहे
हमारे हाथ का लेकिन न कटोरा छीनो
भले अमीर के बेटे पढ़ें विदेशों में
ग़रीब बाप के बच्चों का न बस्ता छीनो
बड़े निर्मम हो शिकारी ख़याल ये तो रखो
वह है परवाज़ में उसका न हौसला छीनो
हमारे हिस्से की पहले ही खुशी लूट चुके
कम से कम जीने का हक़ तो न हमारा छीनो
सिर्फ़ इतनी सी इल्तिजा है आँख वालों से
किसी अंधे की न लाठी का सहारा छीनो