भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
लापता का हुलिया / कुंवर नारायण
Kavita Kosh से
रंग गेहुआं ढंग खेतिहर
उसके माथे पर चोट का निशान
कद पांच फुट से कम नहीं
ऐसी बात करताकि उसे कोई गम नहीं।
तुतलाता है।
उम्र पूछो तो हजारों साल से कुछ ज्यादा बतलाता है।
देखने में पागल-सा लगता-- है नहीं।
कई बार ऊंचाइयों से गिर कर टूट चुका है
इसलिए देखने पर जुड़ा हुआ लगेगा
हिन्दुस्तान के नक्शे की तरह।