लिखना भर मत / देवेन्द्र आर्य
या तो आपको किताब मिली नहीं
या मिल गई तो सूचित करने का समय नहीं मिला
या तो किताब आप तक पहुँची नहीं
या पहुँच गई तो आपने पढ़ी नहीं
न पढ़ने का कारण समय न मिलना भी हो सकता है
लेखक का नवरत्नों में शुमार न होना भी
या विधागत रुचि और स्तरहीनता भी
किताब का मुफ़्त में मिलना भी
न पढ़े जाने का कारण होता है कभी कभी
तो या तो आपने मुफ़्त मिली किताब पढ़ी नहीं
या पढ़ी तो जँची नहीं
वरना कुछ तो सांस डकार लेते
किताब मिली भी
पढ़ी भी
जँची भी
दिमाग़ में टॅंकी भी
फिर भी चुप्पी !
चुप्पी का कारण ख़ुद के बड़े और चर्चित होने का एहसास भी हो सकता है
मान के गुमान बनते देर ही कितनी लगती है
लेखकीय वर्गांतरण माने बिरादरीवाद माने हैसियत
किसी और की चर्चा
अपने पाँव कुल्हाड़ी
लिखने का मतलब है मुट्ठी का खुल जाना
घर बैठे ढेलों को आमन्त्रण
मुफ़्त मिली अच्छी और पढ़ी गई किताब की नोटिस
न लिए जाने का कारण
गुटबन्दी से बाहर दिखने की गुटबन्दी भी होती है
क़बीले के बाहर की चर्चा सन्दिग्ध
कौन भला बर्रे के छत्ता में हाथ डाले
भेंट बात होने पर कह देंगे अद्भुत है !
लोकार्पण पर बुलाए जाने की बात अलग है
लेखक को सामाजिक भी होना पड़ता है
एकदिनी दूल्हा होने का हक़ है सबको
लिखना भर मत लेकिन इज्रे के बाद
लिखने का मतलब है हल्का हो जाना