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ले लो रे / प्रेमशंकर रघुवंशी
Kavita Kosh से
प्यार ले लो, प्यार ले लो, प्यार ले लो रे !
मनभावन मन का सिंगार ले लो रे !!
नदियों-सी झरनों-सी धार ले लो र !
ऋतुओं की वीणा से तार ले लो रे !!
जीवन का साँचा उपहार ले लो रे !
भावों का ऊँचा बाज़ार ले लो रे !!
ख़ुशबू-सा फैला संसार ले लो रे !
फूलों से खिलते उदगार ले लो रे !!
सार ले लो, सार ले लो, सार लेलो रे !
कबिरा की वाणी का संसार ले लो रे !!